How to Set up a Dairy Co-Oprative Society

  1. सर्वप्रथम ग्राम में दुधारू पशुओं का सर्वे किया जाता है।
  2. ग्राम सर्वे के आधार पर एवं दुधारू पशुओं के आधार पर उत्पादित दूध का उपयोग नीजी तौर पर लिए जाने के उपरान्त शेष दूध का आकलन किया जाता है।
  3. कम से कम 50 लीटर प्रतिदिन दूध संकलन की स्थिति में प्रस्तावित दुग्ध समिति/दुग्ध संकलन केन्द्र का प्रारम्भ किया जाता हैं।
  4. प्रस्तावित समिति का सफलतापूर्वक संचालन उपरान्त 25 सदस्यों के द्वारा समिति के पंजीयन की कार्यवाही की जाती है।
  5. दुग्ध समिति के माध्यम से संचालक मण्डल का गठन किया जाता है इसमें 9 से 11 सदस्य होते हैं जिसे प्रबंध कार्यकारिणी कहते हैं।
  6. प्रबंध कार्यकारिणी के गठन में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षएवंप्रतिनिधियोंका निर्वाचन किया जाता हैं।
  7. दुग्ध समिति के संचालन हेतु दुग्ध समिति का बैंक में अध्यक्ष एवं सचिव के नाम से संयुक्त खाता खोला जाता है।
  8. दुग्ध समिति में सचिव के द्वारा लेखा का संधारण एवं टेस्टर (जाँचकर्ता) द्वारा दुग्ध प्रदायक द्वारा समिति में दिए गए दूध का परिक्षण एवं रिकार्ड का संधारण किया जाता हैं।
  9. समिति स्तर पर एकत्रित दूध को दूध परिवहन वाहन से शीतकेन्द्र अथवा दुग्ध संयंत्र पर पहुचाया जाता हैं।

महत्वपूर्ण बिन्दूः-

  • सदस्यता शुल्क रू 5
  • अंशपूंजी राशि रू 100
  • पंजीयक होने के लिए दुग्ध समिति के लिए सदस्यों की संख्या 25
  • पंजीयक दुग्ध समिति में 25 से ज्यादा सदस्य होने की स्थिति में उन सभी सदस्यों को प्रत्येक सहकारी वर्ष में संस्था को 180 दिन अथवा 400 लीटर दूध प्रदाय करना होता हैं।

दुग्ध समिति के गठन के पश्चात संस्था (दुग्ध संघ) द्वारा समितियों में इलेक्ट्रानिक उपकरणों की स्थापना, दुग्ध उत्पादकों को उचित मूल्य पर समूचित मात्रा में संतुलित पशु आहार एवं मिनरल मिक्सचर उपलब्ध कराना, राज्य एवं केन्द्र सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन कराना, कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के माध्यम से पशुओं की नस्ल सुधार एवं पशु उत्प्रेरण एवं पशु ऋण में सहयोग किया जाता हैं।